Ask Question | login | Register
Notes
Question
Quiz
Test Series
Facts

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ

प्रश्न 1   प्रागैतिहासिक स्थल बागोर का सर्वप्रथम उत्खनन किसके निर्देशन में किया गया था -
 (अ) बी.बी. लाल
 (ब) बी.के. थापर
 (स) वी.एन. मिश्रा
 (द) ए. घोष

उत्तर : वी.एन. मिश्रा
व्याख्या :
भीलवाड़ा कस्बे से 25 किलोमीटर दूर कोठारी नदी के किनारे वर्ष 1967-68 में डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल.एस. लेश्निक व डेक्कन कॉलेज पूना और राजस्थान पुरातत्व विभाग के सहयोग से की गयी खुदाई में 3000 ई.पू. से लेकर 500 ई.पू. तक के काल की बागौर सभ्यता का पता लगा।

प्रश्न 2   निम्नलिखित में से कौन सा स्थान राजस्थान में पशु पालन का सबसे प्राचीन प्रमाण प्रस्तुत करता है -
 (अ) बागोर
 (ब) कालीबंगा
 (स) जयपुर
 (द) अलवर

उत्तर : बागोर
व्याख्या :
भीलवाड़ा कस्बे से 25 किलोमीटर दूर कोठारी नदी के किनारे वर्ष 1967-68 में डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल.एस. लेश्निक व डेक्कन कॉलेज पूना और राजस्थान पुरातत्व विभाग के सहयोग से की गयी खुदाई में 3000 ई.पू. से लेकर 500 ई.पू. तक के काल की बागौर सभ्यता का पता लगा। बागौर से कृषि एवं पशुपालन के प्राचीनतम् साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 3   निम्नलिखित किस प्राचीन स्थल के उत्खनन में मालव जनपद की लौह सामग्री के विशाल संग्रह की जानकारी प्राप्त हुई है -
 (अ) नगर (नैनवाँ)
 (ब) नगरी (मध्यमिका)
 (स) सांभर
 (द) रैढ़ (टोंक)

उत्तर : रैढ़ (टोंक)
व्याख्या :
राजस्थान में नोह (भरतपुर), जोधपुरा (जयपुर), सुनारी (झुंझुनूं), रैढ़ (टोंक) आदि स्थानों से लौह संस्कृति के समय के अनेक हथियार और उपकरण मिले हैं। नोह से प्राप्त लौहे के अवशेष भारत में युग के आरम्भ होने की सीमा रेखा निर्धारित करने के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं । रैढ़ को तो लौह सामग्री की प्रचुरता के कारण प्राचीन राजस्थान के टाटानगर की संज्ञा दी गई है। मालव जनपद का समीकरण टोंक जिले में स्थित नगर या ककोर्टनगर से किया जाता है।

प्रश्न 4   प्राचीन ऐतिहासिक स्थल नगर अवस्थित है -
 (अ) चित्तौड़गढ़ में
 (ब) उदयपुर में
 (स) टोंक में
 (द) जयपुर में

उत्तर : टोंक में
व्याख्या :
नगर का प्राचीन टीला राजस्थान के टोंक जिले में स्थित है। यह मालवा गणराज्य की राजधानी थी और इस स्थान का प्राचीन नाम करकोटा नगर था।

प्रश्न 5   पुरातात्विक स्थल गिलुण्ड संबद्ध है -
 (अ) ताम्रपाषाणिक संस्कृति से
 (ब) मध्यपाषाणिक संस्कृति से
 (स) नवपाषाणिक संस्कृति से
 (द) पुरापाषाणिक संस्कृति से

उत्तर : ताम्रपाषाणिक संस्कृति से
व्याख्या :
गिलुंड राजसमंद जिले में स्थित एक गाँव और पुरातात्विक स्थल है। यह आहड़-बनास ताम्रपाषाण संस्कृति का हिस्सा है।

प्रश्न 6   भरतपुर जिले के किस गाँव में उत्खनन से ताम्रयुगीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं -
 (अ) नदबई
 (ब) नोह
 (स) रूपबास
 (द) कुम्हेर

उत्तर : नोह
व्याख्या :
भरतपुर जिले के नोह गांव में 1963-64 में श्री रतनचन्द्र अग्रवाल के निर्देशन में की गई खुदाई में ताम्रयुगीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं। यह स्थल भरतपुर जिले में रूपारेल नदी के तट पर स्थित है।

प्रश्न 7   निम्नांकित में किस इतिहासवेत्ता ने कालीबंगा को सिन्धु घाटी साम्राज्य की तृतीय राजधानी कहा हैं -
 (अ) जी.एच.ओझा
 (ब) श्यामल दास
 (स) दशरथ शर्मा
 (द) दयाराम साहनी

उत्तर : दशरथ शर्मा
व्याख्या :
यदि हड़प्पा और मोहनजोदड़ों को सैंधव सभ्यता की दो राजधानियां माना जा सकता है तो दशरथ शर्मा के अनुसार कालीबंगा को सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा जा सकता है।

प्रश्न 8   पुरातत्वविद् नील रत्न बनर्जी और कैलाश नाथ दीक्षित निम्नलिखित किस पुरास्थल के उत्खनन से सम्बद्ध रहे हैं -
 (अ) कालीबंगा
 (ब) बैराठ
 (स) आहड़
 (द) गणेश्वर

उत्तर : बैराठ
व्याख्या :
प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर (वर्तमान बैराठ) में ‘बीजक की पहाड़ी’, ‘भीमजी की डूँगरी’ मोती डूंगरी तथा ‘महादेवजी की डूँगरी’ आदि स्थानों पर उत्खनन कार्य दयाराम साहनी द्वारा 1936-37 में तथा पुनः 1962-63 में पुरातत्वविद् नीलरत्न बनर्जी तथा कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।

प्रश्न 9   गिलूण्ड और भगवानपुरा किस सभ्यता से संबंधित हैं -
 (अ) आहड़
 (ब) कालीबंगा
 (स) गणेश्वर
 (द) बैराठ

उत्तर : आहड़

प्रश्न 10   निम्न में से किस सभ्यता को भारत में सभी ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी माना जाता है -
 (अ) आहड़
 (ब) गिलूण्ड
 (स) कालीबंगा
 (द) गणेश्वर

उत्तर : गणेश्वर
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। इस क्षेत्र का विस्तृत उत्खनन कार्य 1978-89 के बीच विजय कुमार ने किया। डी.पी. अग्रवाल ने रेडियो कार्बन विधि एवं तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर इस स्थल की तिथि 2800 ईसा पूर्व निर्धारित की है अर्थात् गणेश्वर सभ्यता पूर्व-हड़प्पा कालीन सभ्यता है। ताम्रयुगीन सांस्कृतिक केन्द्रों में से प्राप्त तिथियों में यह प्राचीनतम् है। इस प्रकार गणेश्वर संस्कृति को निर्विवाद रूप से ‘भारत में ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी’ माना जा सकता है।

page no.(1/29)

page

Take a Quiz

Test Your Knowledge on this topics.

Learn More

Test Series

Here You can find previous year question paper and mock test for practice.

Test Series

Share

Join

Join a family of Rajasthangyan on


Contact Us Contribute About Write Us Privacy Policy About Copyright

© 2024 RajasthanGyan All Rights Reserved.