राजपूत युग
- प्रश्न 1 7 वीं शताब्दी से 12 वीं शताब्दी का काल कौनसा काल कहलाता है -
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- (अ) राजपूत काल
- (ब) तुगलक काल
- (स) वर्द्धन काल
- (द) मराठा काल
उत्तर : राजपूत काल
व्याख्या :
हर्षवर्धन की मृत्यु (648 ई.) से लेकर मुहम्मद गौरी के भारत में दिल्ली सल्तनत की स्थापना करने (1206 ई.) तक का काल भारतीय इतिहास में राजपूत काल के नाम से प्रसिद्ध है।
- प्रश्न 2 किन विद्वानों ने राजपूतों को सीथियन मानकर उन्हें मध्य एशिया से आया बताया -
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- (अ) टाॅड व ब्रुक
- (ब) डाॅ. दशरथ शर्मा
- (स) गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा
- (द) बी. बी. लाल
उत्तर : टाॅड व ब्रुक
व्याख्या :
राजपूताना के प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल जेम्स टाॅड ने राजपूतों को शक और सीथियन बताया है। इसके प्रमाण में उनके बहुत से प्रचलित रीति-रिवाजों का, जो शक जाति के रिवाजों से समानता रखते थे, उल्लेख किया है। टाॅड की पुस्तक के सम्पादक विलियम क्रुक ने भी इसी मत का समर्थन किया है परन्तु इस विदेशी वंशीय मत का गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ने खण्डन किया है।
- प्रश्न 3 चीनी यात्री फा फाह्यायन ने राज्य के किस नगर की यात्रा की थी -
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- (अ) भीनमाल
- (ब) बैराठ
- (स) माध्यमिका
- (द) शाकाम्भरी
उत्तर : भीनमाल
व्याख्या :
चीनी यात्री ह्वेनसांग जब भीनमाल आया तो उसने अपने 72 देशों के वर्णन में इसे कू-चे-लो(गुर्जर) बताया तथा उसकी राजधानी का नाम ‘पीलोमोलो/भीलामाल’ यानि भीनमाल बताया।
- प्रश्न 4 गौरी शंकर ओझा और मुहणोत नैंसी के अनुसार गोहिल वंश थे
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- (अ) सुर्यवंशी
- (ब) अग्नी वंशी
- (स) यज्ञकुंड से
- (द) ब्राह्मण वंशी
उत्तर : सुर्यवंशी
व्याख्या :
मेवाड़ के गुहिल - इस वंश का आदिपुरुष गुहिल था। इस कारण इस वंश के राजपूत जहाँ-जहाँ जाकर बसे उन्होंने स्वयं को गुहिलवंशीय कहा। गौरीशंकर हीराचन्द ओझा गुहिलों को विशुद्ध सूर्यवंशीय मानते हैं, जबकि डी. आर. भण्डारकर के अनुसार मेवाड़ के राजा ब्राह्मण थे।
- प्रश्न 5 ‘राजपूत वैदिक आर्यो की संतान है’ - इस मत के प्रतिपादक है -
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- (अ) सूर्यमल्ल मिश्रण
- (ब) डा. गौरीशंकर ओझा
- (स) डी. आर. भण्डारकर
- (द) विलियम क्रुक
उत्तर : डा. गौरीशंकर ओझा
व्याख्या :
ओझा का कहना है कि राजपूतों तथा विदेशियों के रस्मों-रिवाजों में जो समानता कर्नल टाॅड ने बतायी है, वह समानता विदेशियों से राजपूतों ने प्राप्त नहीं की है, वरन् उनकी सात्यता वैदिक तथा पौराणिक समाज और संस्कृति से की जा सकती है।
- प्रश्न 6 अग्निकुण्ड के सिद्धान्त के अनुसार उत्पन्न अन्तिम व चौथा वीर राजपूत योद्धा कौनसा था -
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- (अ) चौहान
- (ब) प्रतिहार
- (स) सोलंकी
- (द) परमार
उत्तर : चौहान
व्याख्या :
राजपूतों का विशुद्ध जाति से उत्पन्न होने के मत को बल देने के लिए उनको अग्निवंशीय बताया गया है। इस मत का प्रथम सूत्रपात चन्दबरदाई के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘पृथ्वीराजरासो’ से होता है। उसके अनुसार राजपूतों के चार वंश प्रतिहार, परमार, चालुक्य और चौहान ऋषि वशिष्ठ के यज्ञ कुण्ड से राक्षसों के संहार के लिए उत्पन्न किये गये।
- प्रश्न 7 पृथ्वीराज विजय के लेखक जयानक ने चौहानों को निम्न में से किसका वंशज बताया -
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- (अ) ब्राहम््णवंशीय
- (ब) सूर्यवंशीय
- (स) चन्द्रवंशीय
- (द) रामवंशीय
उत्तर : सूर्यवंशीय
व्याख्या :
जयानक रचित ‘पृथ्वीराज विजय’ एवं नयनचंद्र सूरी द्वारा रचित ‘हम्मीद महाकाव्य’ ग्रन्थ में इन्हें सूर्यवंशी माना गया है।
- प्रश्न 8 चौहान शासकों को वत्सगौत्रीय ब्राह्मण किस शिलालेख में बताया गया है -
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- (अ) कुम्भलगढ़
- (ब) बिजौलिया
- (स) रणकपुर
- (द) आमेर
उत्तर : बिजौलिया
व्याख्या :
भण्डारकर ने बिजौलिया शिलालेख के आधार पर कुछ राजपूत वंशों को ब्राह्मणों से उत्पन्न माना है। वे चौहान को वत्स गोत्रीय ब्राह्मण बताते हैं और गुहिल राजपूतों की उत्पत्ति नागर ब्राह्मणों से मानते हैं।
- प्रश्न 9 किस इतिहासकार ने चौहानों को ब्राह्मण वंश से उत्पन्न होना माना है -
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- (अ) गौरीशंकर हीराचंद ओझा
- (ब) विलियम क्रुक
- (स) डा. भंण्डारकर
- (द) नैणसी
उत्तर : डा. भंण्डारकर
व्याख्या :
भण्डारकर ने बिजौलिया शिलालेख के आधार पर कुछ राजपूत वंशों को ब्राह्मणों से उत्पन्न माना है। वे चौहान को वत्स गोत्रीय ब्राह्मण बताते हैं और गुहिल राजपूतों की उत्पत्ति नागर ब्राह्मणों से मानते हैं।
- प्रश्न 10 निम्न में से किस हिन्दू सम्राट की मृत्यु के पश्चात् भारत में अनेक क्षेत्रीय राजवंशों का उदय हुआ -
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- (अ) चन्द्रगुप्त
- (ब) हर्षवर्धन
- (स) कनिष्क
- (द) समुद्रगुप्त
उत्तर : हर्षवर्धन
व्याख्या :
हर्षवर्धन की मृत्यु (648 ई.) से लेकर मुहम्मद गौरी के भारत में दिल्ली सल्तनत की स्थापना करने (1206 ई.) तक का काल भारतीय इतिहास में राजपूत काल के नाम से प्रसिद्ध है। इस काल में राजस्थान में अनेक राजपूत वंशों ने अपनी सत्तायें स्थापित की जिनमें गुर्जर-प्रतिहार, चौहान, गुहिल, प्रतिहार, परमार, चालुक्य तथा राठौड़ प्रमुख थे।
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