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कम्प्यूटर

कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है जो डेटा लेता है और उस पर प्रक्रिया (processing) करके एक अर्थ पूर्ण परिणाम देता है।

कम्प्यूटर शब्द कम्प्यूट (Com- pute) शब्द से बना है जिसका अर्थ है- ‘गणना करना’। अतः कम्प्यूटर का शाब्दिक अर्थ है- ‘गणना करने वाला’।

कम्प्यूटर का आविष्कार मुख्य रूप से गणना करने के लिए हुआ था, पुराने समय में कम्प्यूटर का इस्तेमाल केवल गणना करने के लिए किया जाता था। किन्तु आजकल इसका उपयोग डॉक्यूमेण्ट बनाने, ई-मेल, ऑडियों तथा वीडियों को देखने व सुनने, गेम खेलने, डाटाबेस बनाने के साथ-साथ कई कार्यों में किया जाता है।

कम्प्यूटर की सहायता से आँकड़ों या डाटा (Data) सामग्री को किसी कार्यक्रम (Programme) के आधार पर सार्थक सूचना (Information) में परिवर्तित कर उपयोग में लाया जा सकता है।

कम्प्यूटर जो डेटा लेता है उसे हम input data बोलते है और इस डेटा पे प्रोसेसिंग कर के जो परिणाम वापस देता है उसे output data बोलते है।

डाटा को दो भागों में बांटा जा सकता है -

1. संख्यात्मक डाटा (Numerical Data)- यह अंकों से बना होता है जो 0, 1, 2, ... 9 तक के अंकों पर आधारित होता है। इस डाटा पर अंकगणितीय क्रियायें की जाती हैं।

2. चिह्नात्मक डाटा (Alphanumeric Data)- इसमें चिह्नों व अक्षरों का उपयोग किया जाता है। इस डाटा के आधार पर हम तुलनात्मक निष्कर्ष निकाल सकते हैं।

कार्यक्रम (Programme) : एक कंप्यूटर प्रोग्राम एक कंप्यूटर द्वारा निष्पादित करने के लिए एक प्रोग्रामिंग भाषा में अनुक्रम या निर्देशों का सेट है।

प्रोग्रामिंग भाषा : कम्प्यूटर के समझने योग्य भाषा जिसमें प्रोग्राम लिखा जाये, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा कहलाती है।

सूचना (Information) : डाटा की उपयोगिता के आधार पर किए गए विश्लेषण एवं संकलन से प्राप्त तथ्य।

Computer : Commonly Operated Machine Particularly Used for Trade/Technology, Education, and Research.

कम्प्यूटर की उत्पत्ति एवं विकास

एबेकस

कहा जाता है कि इसका आविष्कार प्राचीन बेबीलोन में हुआ था। एबेकस किसी राॅड पर मनके गणना करने का एक उपकरण था। जिसका इस्तेमाल मौखिक अंकगणित के परिणाम को तुरन्त गिनने और संग्रहित करने के लिए किया जाता था। पहले यह उंगलियां, पत्थर, या किसी भी तरह की प्राकृतिक सामग्री थी।

नेपियर बॉन्स

जॉन नेपियर्स एक गणितज्ञ थे, इन्होने लोगारिद्म का अविष्कार किया था। साथ ही ‘नैपियर्स बोन्स’ का अविष्कार किया। जिसे गणना करने के लिए उपयोग किया जाता था नैपियर्स बोन्स ग्यारह रोडस का एक सैट था, जो डेसिमल प्वाइन्ट तक बताता था। इन रोडस को बोन्स इसलिए कहा जाता था, क्योंकि ये हड्डियों द्वारा बनी होती थी। जिसमें 0 से 9 अंकों को स्टोर किया जा सकता था।

मेकेनिकल युग

प्रथम मैकेनिकल कैलकुलेटर

ऐसा माना जाता है कि लिओनार्दो द विन्सी ने संसार का पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर बनाया था। लिओनार्दो द विन्सी का यांत्रिकी पर एक ग्रंथ मिला है जिसमें एक तंत्र को चित्रित करने वाला एक स्केच है। जिसे गणना उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किए जाने की बहुत संभावना है।

पास्कलाइन

ब्लेज पास्कल ने 1642 में एडिंग मशीन को विकसित किया। यह केवल 8 अंको तक की संख्यायें जोड़ सकती थी। उन्होंने इस मशीन का नाम पास्कलाइन दिया था। पास्कलाइन दो संख्याओं को सीधे जोड़ और घटाना और बार-बार जोड़ और घटाव के माध्यम से गुणा और भाग करना। उनके सम्मान में नई प्रोग्रामिंग भाषा Pascal का नाम दिया गया था।

जेकार्ड्स लूम

सन् 1801 में फ्रांसीसी बुनकर जोसेफ ने कपड़ों में स्वतः ही डिजाइन या पैटर्न देने वाले लूम आविष्कार किया। यह लूम कपड़े के डिजाइन को कार्डबोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकार्ड से नियंत्रित करता था। पंचकार्ड पर छिद्रों की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति द्वारा धागों को निदेशित किया जाता था। इस लूम में सूचनाओं को पंचकार्ड पर कोडिड किया गया। पंचकार्ड पर संगृहीत सूचना निर्देशों का समूह है। जिससे पंचकार्ड को जब भी काम में लिया जायेगा तो निर्देशों का यह समूह एक प्रोग्राम के रूप में कार्य करेगा।

चार्ल्स बैबेज का डिफरेंस इंजिन

चार्ल्स बैबेज ने सन् 1822 में डिफरेन्स इंजिन मशीन का निर्माण किया। इस मशीन में गियर और शाफ्ट लगे थे। इसके बाद सन् 1833 में चार्ल्स बैबेज ने डिफरेंस इंजन का विकसित रूप एक एनालिटिकल इंजिन तैयार किया। इसमें निर्देशों को संग्रहित करने की क्षमता थी। और इसके द्वारा स्वचलित रूप में परिणाम भी छापे जा सकते थे। यह भाप से चलती थी। एनालिटिकल इंजन ने एक अंकगणितीय तर्क इकाई, सशर्त शाखाओं और लूप के रूप में नियंत्रण प्रवाह, और एकीकृत मेमोरी को शामिल किया, जिससे यह एक सामान्य-उद्देश्य वाले कंप्यूटर के लिए पहला डिज़ाइन बन गया जिसे आधुनिक शब्दों में ट्यूरिंग-पूर्ण के रूप में वर्णित किया जा सकता है।

एलन मैथिसन ट्यूरिंग

एलन मैथिसन ट्यूरिंग एक अंग्रेजी गणितज्ञ, कंप्यूटर वैज्ञानिक थे। ट्युरिंग ने 1936 में ट्युरिंग यंत्र का विचार प्रस्तुत किया।

बैबेज का ऐनालिटिकल इंजिन आधुनिक कम्प्यूटर का आधार बना और इसी कारण चार्ल्स बैबेज को कम्प्यूटर का पितामह कहा जाता है। बैबेज की सहायक एडा ऑगस्टा ने ऐनालिटिकल इंजिन में गणना के निर्देशों को विकसित करने में मदद की। इसी कारण एडा ऑगस्टा को पहले प्रोग्रामर का श्रेय जाता है। कम्प्यूटर की एक भाषा का -नाम एडा (ADA) इन्हीं के नाम पर रखा गया।

होलेरिथ सेंसस टेबुलेटर

सन् 1890 में कम्प्यूटर के द्वारा अमेरिका की जनगणना का कार्य किया गया। सन् 1890 से पूर्व जनगणना का कार्य पारस्परिक तरीकों से किया जाता था। जनगणना के कार्य को करने के लिए होलेरिथ ने एक मशीन बनाई जिसमें पंचकार्ड को विद्युत के द्वारा संचालित किया जाता था। उस मशीन की सहायता से जनगणना करने में केवल तीन वर्ष का समय लगा। जो कि बहुत ही कम था। सन् 1896 में होलेरिथ द्वारा बनाई गई, पंचकार्ड यंत्र बनाने की कम्‍पनी टेबुलेटिंग मशीन कम्पनी का नाम सन् 1911 में बदलकर कम्प्यूटर टेबुलेटिंग रिकॉर्डिंग कम्पनी हो गया। होलेरिथ ही व्यापार की दुनिया में पंचकार्ड को लाये थे। जिससे 1924 में IBM का उदय हुआ था। जिससे पंचकार्ड को IBM कार्ड या हालेरिथ कार्ड भी कहा जाता है। हरमन हॉर्लिथ ने एक इलेक्ट्रॉनिक पंच कार्ड टेबुलेटर का आविष्कार किया था न कि स्वयं पंच कार्ड का।

Z1

Z1 एक मोटर चालित यांत्रिक कंप्यूटर था जिसे कोनराड ज़्यूस द्वारा डिजाइन किया गया था, जिसे उन्होंने 1936 से 1938 तक अपने माता-पिता के घर में बनाया था। यह एक बाइनरी विद्युत चालित यांत्रिक कैलकुलेटर था, जिसमें सीमित प्रोग्रामबिलिटी थी, जो छिद्रित सेल्युलाइड फिल्म से निर्देश पढ़ रहा था।

A.B.C. (Atamasoft- Berry Computer)

A.B.C. (Atamasoft- Berry Computer) - 1939 में जॉन एटनासॉफ और क्लिफोर्ड बेरी नामक वैज्ञानिकों ने मिलकर संसार के इस पहले इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर का आविष्कार किया। यह न तो प्रोग्राम करने योग्य था, न ही ट्यूरिंग-पूर्ण। एबीसी को पहला इलेक्ट्रॉनिक ALU (अंकगणित तर्क इकाई) माना जा सकता है। - जो हर आधुनिक प्रोसेसर के डिजाइन में एकीकृत है। इसका अनूठा योगदान अंकगणितीय गणना करने के लिए वैक्यूम ट्यूबों का उपयोग करने वाला पहला बनकर कंप्यूटिंग को तेज बनाना था।

मार्क 1

हार्वर्ड मार्क 1, जिसे IBM ऑटोमैटिक सीक्वेंस कंट्रोल्ड कैलकुलेटर (ASCC) के रूप में भी जाना जाता है, हावर्ड ऐकेन द्वारा डिज़ाइन किया गया एक प्रारंभिक इलेक्ट्रोमैकेनिकल कंप्यूटर था और 1944 में IBM द्वारा न्यूयॉर्क में उनकी एंडिकॉट लैब में बनाया गया था। यह विश्व की पहली स्वचालित इलैक्ट्रो-मैकेनिकल कैलकुलेटर डिवाइस थी। डाटा स्टोर करने के लिए मैग्नेटिक ड्रम का प्रयोग किया जाता था।

हार्वर्ड मार्क 1 ने परमाणु हथियार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि इसका उपयोग पहले परमाणु बमों को डिजाइन करने में मदद के लिए किया गया था।

हार्वर्ड मार्क 1 पहला कंप्यूटर था जिसे एक विशिष्ट चीज़ को हल करने के बजाय कई समस्याओं को हल करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता था।

डिजीटल युग

जॉन वॉन न्यूमैन द्वारा ‘स्टोर्ड प्रोग्राम’ की अवधारणा को 1940 के दशक के अंत में पेश किया गया। इस अवधारणा के आधार पर ENIAC और फिर EDVAC कंप्यूटर विकसित किए गए।

प्रथम इलैक्ट्रोनिक/डिजीटल कम्प्यूटर ENIAC

ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer) प्रथम इलैक्ट्रोनिक कम्प्यूटर था। ENIAC का अविष्कार जे. प्रेस्पर एकर्ट और जॉन मॉकले द्वारा पेनिसलिवानिया की युनिवर्सिटी में किया गया। इसके निर्माण की शुरूआत पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के मूर स्कूल ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में गुप्त रूप से कोड नाम Project PX के तहत 1943 में हुई तथा 1946 में निर्माण कार्य हुआ। इसका आकार 1800 सक्वेयर फीट था। जिसमें लगभग 18000 वैक्यूम ट्यूबस का उपयोग किया गया। यह पहला सामान्य उद्देश्य वाला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था। यह पहला ट्यूरिंग-पूर्ण, डिजिटल कंप्यूटर था जो कंप्यूटिंग समस्याओं की एक पूरी श्रृंखला को हल करने के लिए रिप्रोग्राम करने में सक्षम था।

एडसैक (EDSAC)

Electronic Delay Storage Automatic Calculator (EDSAC) 1947 में मॉरिस विल्कीज (इंग्लैण्ड) के नेतृत्व में एक टीम द्वारा डिज़ाइन किया गया, मूल EDSAC कंप्यूटर लगभग 10 वर्षों तक संचालित रहा, 6 मई 1949 को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी गणितीय प्रयोगशाला में चलाए गए अपने पहले सफल कार्यक्रम से शुरू हुआ। यह पहला कम्प्यूटर था जो संग्रहित प्रोग्राम का उपयोग करता था। यह स्मृति के लिए पारा विलम्ब लाइनों और तर्क के लिए व्युत्पन्न वैक्यूम ट्यूबों का उपयोग करता था।

Whirl Wind

MIT में Whirl Wind मशीन का निर्माण 1951 में किया यह क्रांतिकारी कम्प्यूटर प्रथम डिजिटल कम्प्यूटर था जो बुनियादी निर्देशों का तुरंत जवाब दे सकता था। इसे 1948 और 1951 के बीच मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में बनाया गया था। Whirl Wind का डिजाइन और निर्माण MIT के Jay Forrester और Radio Corporation of America (RCA) के Jan Aleksander Rajchman द्वारा किया गया था, जो एक नई तरह की मेमोरी के साथ आए थे। निर्देशों और डेटा को स्विच या छिद्रित टेप के माध्यम से स्मृति में दर्ज किया जाता है। अतिरिक्त मेमोरी के रूप में एक चुंबकीय ड्रम (8KB), साथ ही एक चुंबकीय टेप डिवाइस का उपयोग किया जा सकता है। Whirl Wind पहला कंप्यूटर भी था, जिसमें ग्राफिकल डिस्प्ले (256 × 256 डॉट्स रिज़ॉल्यूशन के साथ) का इस्तेमाल किया गया था। यह रैंडम-एक्सेस मैग्नेटिक-कोर (RAM) मेमोरी का उपयोग करने वाला पहला रीयल-टाइम हाई-स्पीड डिजिटल कंप्यूटर था। Whirl Wind पहला कंप्यूटर था जो वास्तविक समय की संगणना करने में सक्षम था। यह दो माइक्रोसेकंड में दो 16-बिट संख्या जोड़ सकता है और बीस माइक्रोसेकंड में उन्हें गुणा कर सकता है। इसमें केवल 4000 वाल्वों का इस्तेमाल किया गया था, जो कि ENIAC में इस्तेमाल किए गए वाल्वों के एक चौथाई से भी कम था।

यूनीवैक (UNIVAC)

Universal Automatic Computer (UNIVAC) प्रथम कम्प्यूटर था जिसका उपयोग व्यापारिक और अन्य सामान्य कार्यों के लिए किया गया। इसका विकास 1954 में Eckert–Mauchly Computer Corporation ने किया था। यह इनपुट के साथ- साथ आउटपुट के लिए चुम्बकीय टेप का उपयोग करता था।

प्रथम मीनी कम्प्यूटर

1960 में Digital Equipment Corporation (DEC, which was purchased by Compaq in 1998) ने PDP(Programmed Data Processor) कम्प्यूटर का प्रथम कम्प्यूटर PDP-1 विकसित किया।

इंटेल के लिए माइक्रोप्रोसेसर का विकास मार्सियन एडवर्ड टेड हॉफ (एम. ई. हॉफ) ने 1970 में किया था। फेडेरिको फागिन ने इंटेल के इस माइक्रोप्रोसेसर परियोजना और डिजाइन समूह का नेतृत्व किया। 1971 में इंटेल कम्पनी के प्रथम माइक्रो प्रोसेसर “इंटेल 4004” के निर्माण ने माइक्रो कम्प्यूटर निर्माण के क्षेत्र में क्रांति ला दी थी। पहला व्यावसायिक रूप से उपलब्ध माइक्रोप्रोसेसर Intel 4004 था, जिसे Federico Faggin द्वारा डिज़ाइन किया गया था और 1971 में पेश किया गया था। विश्व में मुख्यत: दो बड़ी माइक्रोप्रोसेसर उत्पादक कंपनियां है - इंटेल (INTEL) और ए.एम.डी.(AMD)

पहला माइक्रो कंप्यूटर

अल्टेयर 8800, माइक्रो इंस्ट्रुमेंटेशन एंड टेलीमेट्री सिस्टम्स (एमआईटीएस) द्वारा निर्मित और एड रॉबर्ट्स द्वारा आविष्कार किया गया था, मूल रूप से एक किट के रूप में बेचा गया था। इसमें कोई ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं था, लेकिन यह स्विच की एक पंक्ति के माध्यम से दर्ज किए गए कमांड को पहचानता था। अल्टेयर के पास कोई कीबोर्ड नहीं था और इसे टेलीविजन स्क्रीन से नहीं जोड़ा जा सकता था।

पहला माइक्रो कंप्यूटर माइक्रल (Micral) था, जिसे 1973 में फ्रेंच कंपनी रियलाइजेशन डी'एट्यूड्स इलेक्ट्रोनिक्स (आर2ई) द्वारा जारी किया गया था। Intel 8008 पर आधारित, यह माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित पहला बिना किट वाला कंप्यूटर था। 1974 में, Intel 8008-आधारित MCM/70 माइक्रो कंप्यूटर को माइक्रो कंप्यूटर मशीन इंक. (बाद में MCM कंप्यूटर के रूप में जाना जाता है) द्वारा जारी किया गया था।

प्रथम एपल कम्प्यूटर

Apple-1 कंप्यूटर को एपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स और स्टीव वोजनियाक ने 1976 में बनाया था।

एप्पल II

1977 में इस प्रथम व्यावसायिक माइक्रो कम्प्यूटर का निर्माण हुआ।

पहला लैपटाप

1981 में एडम ऑसबोर्न ने पहला लैपटाप विकसित किया तथा EPSON कम्पनी ने पहले लैपटॉप का निर्माण किया।

प्रथम मल्टी मीडिया कम्प्यूटर

1992 में Tendy Radio Shack ऐसी प्रथम कम्पनी बनी जिसने Multimedia Personal Computer (MPC) स्टैंडर्ड पर आधारित कम्प्यूटर रीलीज किये तथा इसी के साथ M2500XL/2 और M4020 SX कम्प्यूटर का आगमन हुआ।

प्रथम कम्प्यूटर कम्पनी

प्रथम कम्प्यूटर कम्पनी इलेक्ट्रोनिक कन्ट्रोल कम्पनी थी, जिसे 1949 में जे. प्रेस्पर एकर्ट और जॉन मॉकले ने निर्मित किया। इन्होने ही ENIAC (Electronic Numerical Integrator And Computer) का निर्माण किया था। इसी कम्पनी का नाम बदलकर EMCC या Eckert Monchly Computer Corporation रखा गया और UNIVAC (Universal Automatic Computer) के अन्तर्गत मेनफ्रेम कम्प्यूटर की एक सीरीज निकाली गयी। UNIVAC प्रथम कमर्शियल कम्प्यूटर था।

कम्प्युटर का वर्गीकरण

हार्डवेयर के आधार पर

प्रथम पीढ़ी (1942-55)

इस पीढ़ी के कम्प्युटर में तार्किक उपकरण के रूप में वैक्यूम ट्यूब/वाल्व का उपयोग किया गया। इनपुट/आउटपुट के लिए पंच कार्ड और आंतरिक स्मृति के रूप में मैग्नेटिक ड्रम का उपयोग किया गया। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड मिली सैकण्ड में थी। इसमें किसी प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं था। इस पीढ़ी में प्रोग्रामिंग भाषा मशीन व असेम्बली का उपयोग किया गया। कंम्प्यूटर को प्लगबोर्ड के माध्यम से प्रोग्राम किया जाता था। प्रथम इलेक्ट्रानिक कम्प्युटर (ई. एन. आई. ए. सी.) प्रथम पीढ़ी का कम्प्युटर था।

उदाहरण - ENIAC, EDVAC, IBM-701, UNIVAC।

समय माप की इकाइयाँ

  • मिलीसेकंड (ms): एक मिलीसेकंड एक सेकंड के एक हजारवें (1/1000) के बराबर होता है। इसका उपयोग अक्सर अपेक्षाकृत कम अवधियों को मापने के लिए किया जाता है, जैसे कंप्यूटर सिस्टम का प्रतिक्रिया समय या प्रोग्राम का निष्पादन समय। मिलीसेकंड को प्रतीक “ms” द्वारा दर्शाया जाता है।
  • माइक्रोसेकंड (µs): एक माइक्रोसेकंड एक सेकंड के दस लाखवें (1/1000000) के बराबर होता है। यह मिलीसेकंड की तुलना में समय की एक छोटी इकाई है। माइक्रोसेकंड का उपयोग उन अनुप्रयोगों में किया जाता है जिनके लिए बहुत सटीक समय या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की गति को मापने की आवश्यकता होती है। माइक्रोसेकंड को प्रतीक “μs” द्वारा निरूपित किया जाता है, जो कि ग्रीक अक्षर “म्यू” है जिसके बाद अक्षर “s” आता है।
  • नैनोसेकंड (ns): एक नैनोसेकंड एक सेकंड के एक अरबवें (1/1000000000) के बराबर होता है। यह समय की एक अत्यंत छोटी इकाई है और इसका उपयोग अक्सर उन क्षेत्रों में किया जाता है जिनमें अत्यंत सटीक मापन की आवश्यकता होती है, जैसे उच्च गति कंप्यूटिंग, दूरसंचार और वैज्ञानिक अनुसंधान। नैनोसेकंड को प्रतीक “ns” द्वारा दर्शाया जाता है।
  • पिकोसेकंड (ps): एक पिकोसेकंड एक सेकंड के एक खरबवें (1/1000000000000) के बराबर होता है। यह समय की एक अत्यंत छोटी इकाई है जिसका उपयोग अल्ट्राफास्ट घटनाओं में किया जाता है, जैसे कि लेजर तकनीक, उच्च गति वाले इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान। पिकोसेकंड को “ps” प्रतीक द्वारा दर्शाया गया है।

द्वितिय पीढ़ी (1955-64)

इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में मुख्य तार्किक उपकरण वैक्यूम ट्युब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया। जॉन बार्डीन, वाल्टर ब्रेटन और विलियम शॉक्ले ने 1947 में बेल लैब्स में पॉइंट-कॉन्टैक्ट ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया। मेमोरी के लिए मैग्नेटिक ड्रम के स्थान पर मैग्नेटिक कोर का प्रयोग हुआ। इस पीढ़ी में प्रोसेसिंग स्पीड माइक्रो सैकण्ड में थी। इस पीढ़ी में पहले आपरेटिंग सिस्टम का भी विकास हुआ। बैच आपरेटिंग सिस्टम (Batch Operating System) का आरंभ हुआ। 1962 में पहला रियल टाइम ओपरेटिंग सिस्टम IBM ने विकसित किया।

इनपुट/आउटपुट के लिए पंचकार्ड के अलावा मैग्नेटिक टेप और डिस्क का प्रयोग हुआ। इस पीढ़ी में हाई लेवल लेंग्वेज का आविष्कार हुआ, जैसे FORTRAN, COBOL आदि। ये प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर से आकार में छोटे थे और संग्रह क्षमता और गति भी काफी अधिक थी।

उदाहरण - IBM-1620, IBM-7094, CDC-1604, CDC-3600, UNIVAC-1108।

तृतीय पीढ़ी(1964-75)

ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सार्किट (IC- Intergrated Cirecuit) का प्रयोग शुरु हुआ जिसमें सैकड़ों इलेक्ट्राॅनिक उपकरण जैसे ट्राजिस्टर, प्रतिरोधक (Resistor) और संधारित्र (Capactitor) एक छोटे चिप पर बने होते हैं। जिससे कम्प्युटर का आकार अत्यंत छोटा होता गया। इस पीढ़ी में प्रोसेसिंग स्पीड नैनो सैकण्ड में थी। द्वितीय स्टोरेज के रूप में मैगनेटिक डिस्क का उपयोग किया जाने लगा। इनपुट/आउटपुट के रूप में कि बोर्ड, मॉनिटर का उपयोग होने लगा।

जैक किल्बी और रॉबर्ट नॉयस ने इंटिग्रेटेड सर्किट का आविष्कार किया।

रैंडम-एक्सेस मैग्नेटिक-कोर(RAM) के विकास से गति तीव्र हुई। टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाने लगा, जिसके कारण कम्प्यूटर के आंतरिक कार्य स्वचालित हो गये। डोक्यूमेंट बनाना तथा उन्हें प्रोसेस करना प्रारंभ किया। हाई लेवल लेंग्वेज (उच्चस्तरीय भाषा) में नई भाषाओं पास्कल (PASCAL) तथा बेसिक (BASIC-Beginners All Purpose Symbolic In- struction Code) का विकास हुआ।

उदाहरण - IBM 360 Series, Honeywell-600 Series, IBM 370/- 168, TDC-316

चतुर्थ पीढ़ी(1975-89)

इस पीढ़ी में लार्ज स्केल आई. सी. (इंटीग्रेटेड सर्किट) बनाना सम्भव हुआ। एक छोटे से चिप में लााखों ट्रांजिस्टर समा गये, आकार में कमी आयी। इस चिप को माइक्रोप्रोसेसर नाम दिया गया। प्रोसेसिंग स्पीड पीको सैकण्ड में थी। द्वितीयक स्टोरेज के रूप में मैग्नेटिक तथा आप्टिकल स्टोरेज का उपयोग किया गया।

माइक्रोप्रोसेसर का विकास एम. ई. हॉफ ने 1971 में किया था। माइक्रोप्रोसेसर युक्त कम्प्यूटर को माइक्रो कम्प्यूटर कहा जाने लगा। सबसे पहला माइक्रो कम्प्यूटर MITS नामक कम्पनी ने बनाया। कोर मेमोरी के स्थान पर अर्धचालक या सेमीकंडक्टर पदार्थ की मेमोरी का उपयोग हुआ, जो आकार में छोटी और गति में तेज होती थी। नये-नये सॉफ्टवेयरों का निर्माण हुआ।

LAN (Local Area Network), WAN (Wide Area Network) जैसे कम्प्यूटर नेटवर्क का विकास हुआ। पर्सनल कम्प्यूटर का विकास हुआ। GUI (Graphical User Interface) सॉफ्टवेयर के विकास से कम्प्यूटर का उपयोग सरल हो गया। MS-DOS, MS-Windows, Apple-OS जैसे ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर का विकास हुआ। उच्चस्तरीय भाषा C का विकास हुआ। उदाहरण- IBM- PC, एप्पल-II, DEC 10, STAR 1000, PDP 11, CRAY-1 and CRAY X-MP

पांचवी पीढ़ी(1989 से अब तक)

ULSI(Ultar Large Scale Integration) के विकास से कम्प्युटर की कार्यक्षमता में और वृद्धि हुई। आॅप्टिकल डिस्क का विकास हुआ।

इस पीढ़ी में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए कम्प्यूटर्स को जोड़कर नेटवर्क बनाया गया, जिसे इंटरनेट नाम दिया गया। ई-मेल तथा WWW (world wide web) का विकास हुआ। मल्टीमीडिया का विकास इसी पीढ़ी में हुआ। कम्प्यूटर को आकार के कारण डेस्कटॉप, लैप टॉप, पाम टॉप नाम दिया गया। उदाहरण - Desktop, Laptop, Notebook, Ultrabook, Chrome Book।

इस पिढ़ी के कम्प्युटर में स्वंय सोचने की क्षमता पैदा की जा रही है।

आकार तथा कार्यक्षमता के आधार पर वर्गीकरण

सुपर कम्प्युटर

कम्प्युटर जिनकी कार्य करने की क्षमता 500 मेगा फ्लाॅप्स से अधिक हो उसको सुपर कम्प्युटर कहते हैं। इनमें मल्टी प्रोसेसिंग तथा समानान्तर प्रोसेसिंग का उपयोग किया जाता है। सुपर कम्प्यूटर विश्व के सर्वाधिक तेज कम्प्यूटर हैं, जो कम समय में जटिल गणनाएं कर सकते हैं। सुपर कम्प्यूटर के प्रोसेसिंग स्पीड की गणना FLOPS (Floating Point Operations Per Second) में की जाती है। वर्तमान में सुपर कम्प्यूटर में गीगाफ्लॉप्स, टेराफ्लॉप्स तथा पेटाफ्लॉप्स तक की गति पायी जाती है। 1964 में जारी CDC - 6600 को पहला सुपर कंप्यूटर माना जाता है। जिसका निर्माण Seymour Cray ने Control Data Corporation (CDC) कंपनी में किया था। सुपर कम्प्यूटर के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान के लिए Seymour Cray को सुपर कम्प्यूटर का जन्मदाता (Father of Super Computer) कहा जाता है। क्रे ने अपनी कंपनी बनाने के लिए 1972 में CDC को छोड़ दिया। 1972 में, Cray Research, Inc. (CRI) की स्थापना कंप्यूटर डिज़ाइनर Seymour Cray द्वारा की गई थी। जिसने 1979 में क्रे. के. 1 एस सुपर कम्प्यूटर बनया। 2019 में, कंपनी को Hewlett Packard Enterprise द्वारा $1.3 बिलियन में अधिग्रहित कर लिया गया था। प्रमुख सुपर कम्प्यूटर: CRAY K I S, Deep Blue, FLO Solver, PARAM, ANUPAM, COSMOS आदि।

विश्व स्तर पर अधिकतम सुपरकंप्यूटरों के साथ चीन दुनिया में शीर्ष स्थान रखता है। इसके बाद अमेरिका, जर्मनी, जापान, फ्रांँस और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों का स्थान है।

भारत में सुपर कम्प्यूटर (Super Computer in India)

भारत में ‘परम’ सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का निर्माण सी डैक (C-DAC-Centre for Development of Advanced Computing), पुणे द्वारा किया गया है। ‘परम-8000’ सी-डैक द्वारा विकसित पहला सुपर कम्प्यूटर था जिसका निर्माण 1991 में किया गया था।भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक विजय पांडुरंग भाटकर को भारतीय सुपर कंप्यूटर का जनक कहा जाता है। पद्म भूषण और महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार विजेता, विजय भटकर, ने भारत में परम सुपर कंप्यूटर के विकास का नेतृत्व किया।‘अनुपम’ सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का विकास बार्क (BARC- Bhabha Atomic Research Centre) मुम्बई द्वारा किया गया है। पेस (PACE-Processor for Aerodynamic Compu tation and Evaluation) सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का निर्माण अनुराग (ANURAG - Advanced Numerical Research and Analysis Group) हैदराबाद द्वारा डीआरडीओ (DRDO-Defence Re search and De- velopment Organization) के लिए किया गया। सुपर कम्प्यूटर ‘फ्लोसाल्वर’ (Flosolver) का विकास नाल (NAL-National Aeronautical Lab), बेंगलुरू द्वारा 1980 में किया गया था। C-DOT (Centre for Development of Telematics) संस्था ने CHIPP-16 नामक सुपर कम्प्यूटर का विकास किया है।

मई, 2023 तक, परम सिद्धि-AI Rpeak of 5.267 Petaflops and 4.6 Petaflops Rmax (Sustained) की कुल गणना क्षमता के साथ भारत का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर है। परम शिवाय स्वदेशी रूप से असेंबल किया गया पहला सुपर कंप्यूटर था और इसे IIT (BHU), वाराणसी में स्थापित किया गया था।

High Performance Computing में, Rmax और Rpeak स्कोर हैं जिनका उपयोग LINPACK Benchmark का उपयोग करके सुपर कंप्यूटरों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंक करने के लिए किया जाता है। LINPACK Benchmark सिस्टम की फ्लोटिंग पॉइंट कंप्यूटिंग शक्ति का एक माप है। सिस्टम का Rmax स्कोर इसके अधिकतम प्राप्त प्रदर्शन का वर्णन करता है, Rpeak स्कोर इसके सैद्धांतिक शिखर प्रदर्शन का वर्णन करता है। दोनों स्कोर के मान आमतौर पर teraFLOPS या petaFLOPS में दर्शाए जाते हैं।

1 टेराफ्लॉप्स (TFLOPS) कंप्यूटर सिस्टम प्रति सेकंड एक ट्रिलियन (1012) फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन करने में सक्षम है।

1 पेटाफ्लॉप कंप्यूटर सिस्टम एक क्वॉड्रिलियन (1015) फ्लॉप प्रदर्शन कर सकता है।

1 exaFLOPS (EFLOPS) एक क्विंटिलियन (1018) FLOPS (एक मिलियन TFLOPS) होता है।

2023(Q1) तक सी-डैक के सभी सुपर कंप्यूटर की कुल सुपरकंप्यूटिंग शक्ति 64 पेटाफ्लॉप है। सी-डैक एक सुपर कंप्यूटर पर काम कर रहा है जिसका नाम है ‘परम शंख’, इसकी क्षमता होगी 1000 petaflop या 1 exaFLOPS

राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन

मार्च 2015 में सात वर्षों की अवधि (वर्ष 2015-2022) के लिये 4,500 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से ‘राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन’ की घोषणा की गई थी। इस मिशन के अंतर्गत 70 से अधिक उच्च प्रदर्शन वाले सुपरकंप्यूटरों के माध्यम से एक विशाल सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड स्थापित कर देश भर के राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों और R&D संस्थाओं को सशक्त बनाने की परिकल्पना की गई है।

इनका इस्तेेमाल मौसम की भविष्यवाणी, वैज्ञानिक अनुसंधान, खुफिया जानकारी एकत्र करना और विश्लेषण, डेटा माइनिंग आदि में किया जाता है।

मेनफ्रेम कम्प्युटर

सुपर कम्प्युटर को छोड़कर विशाल आकार वाले सभी कम्प्युटर को मेनफ्रेम कम्प्युटर कहते हैं। इस पर एक से अधिक लोग एक साथ कार्य कर सकते हैं। ये मुख्यतः बड़े संगठनों द्वारा, आम तौर पर अत्यधिक आंकड़ों जैसे जनगणना, बड़े - बड़े उद्योगों में इस्तेमाल किये जाते हैं। IBM 4381, ICL 39 Series and CDS cyber se ries मेनफ्रेम कम्प्यूटर के उदाहरण है।

मिनी कम्प्यूटर

यह एक औसत दर्जे का बहुउपयोक्ता कम्प्युटर है जो की मेनफ्रेम से कम शक्ति वाला और माइक्रो से अधिक क्षमता वाला होता है। प्रारंभ में, मिनीकंप्यूटर को इंजीनियरिंग और कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन (CAD) गणना जैसे कुछ विशिष्ट कार्यों को करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। लेकिन अब इनका उपयोग केंद्रीय कंप्यूटर के रूप में किया जा रहा है जिसे सर्वर के रूप में जाना जाता है। मिनी कंप्यूटर की गति 10 से 30 MIPS (मिलियन इंस्ट्रक्शन पर सेकंड) के बीच होती है। पहला मिनी कंप्यूटर PDP-8 था। मिनीकंप्यूटर के कुछ उदाहरण IBM-17, DEC PDP-11, HP-9000, आदि हैं।

माइक्रो कम्प्युटर

यह एक समय में एक ही व्यक्ति द्वारा उपयोग करने के लिए होता है। उदाहरण - घरों में उपयोग किया जाने वाला कम्प्यूटर, पर्सनल कम्प्यूटर, लैप-टाॅप।

कार्य पद्धति के आधार पर वर्गीकरण

एनालाॅग कम्प्युटर

एनालाॅग कम्प्युटर में किसी भौतिक राशि को इलेक्ट्राॅनिक परिपथों की सहायता से विद्युत संकेतों में परिवर्तित किया जाता है। अब इस प्रकार के कम्प्युटर प्रचलन से बाहर हो गए हैं। उदाहरण के लिए स्पीडोमीटर, सिस्मोग्राफ आदि।

अंकिय कम्प्युटर

डिजिटल कंप्यूटर बाइनरी नंबर सिस्टम का उपयोग करते हैं, जिसमें दो अंक होते हैं: 0 और 1। बाइनरी अंक को बिट कहा जाता है। उदाहरण - सभी आधूनिक कम्प्युटर जैसे पर्सनल कम्प्युटर, नोटबुक कम्प्युटर, पाॅकेट कम्प्युटर लैप-टाॅप।

संकर कम्प्युटर

हाइब्रिड(संकर) कम्प्युटर एक प्रकार का मध्यवर्ती उपकरण है। जो एक एनालाॅग को मानक अंको में परिवर्तीत करता है। इनमें अनुरूप तथा अंकिय दोनों प्रकार के संगणकों की विशेषताएं होती है। इनका इस्तेमाल चिकित्सा क्षेत्र में मुख्य रूप से होता है। अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाली मशीनें जैसे ईसीजी और डायलिसिस आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले हाइब्रिड कंप्यूटर हैं।

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