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भारत की प्रमुख संगीत गायन शैलियां

1. ध्रुपद गायन शैली

जनक - ग्वालियर के शासक मानसिंह तोमर को माना जाता है।

महान संगीतज्ञ बैजू बावरा मानसिंह के दरबार में था।

संगीत सामदेव का विषय है।

कालान्तर में ध्रुपद गायन शैली चार खण्डों अथवा चार वाणियां विभक्त हुई।

(अ) गोहरवाणी

उत्पत्ति- जयपुर

जनक- तानसेन

(ब) डागुर वाणी

उत्पत्ति- जयपुर

जनक - बृजनंद डागर

(स) खण्डार वाणी

उत्पत्ति - उनियारा (टोंक)

जनक- समोखन सिंह

(द) नौहरवाणी - जयपुर

जनक- श्रीचंद नोहर

2. ख्याल गायन शैली

ख्याल फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है कल्पना अथवा विचार

जनक- अमीर खुसरो जो अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में था।

खुसरो को कव्वाली का जनक माना जाता है।

कुछ इतिहास -कार जोनपुर (महाराष्ट्र) के शासक शाहसरकी को ख्याल गायन श्शैली का जनक मानते है।

प्रसिद्ध घराने

1. जयपुर घराना

संस्थापक - मनरंग (भूपत खां)

संगीतज्ञ - मोहम्मद अली खां कोठी वाले

घराना ख्याल गायन शैली का प्रयोग करता है।

2.सैनिया घराना (जयपुर)

इसे सितारियों का घराना भी कहते है।

प्रसिद्ध संगीतज्ञ - सितारवादक - अमृत सैन

संस्थापक- सूरतसैन (तानसेन का पुत्र)

यह घराना गोहरवाणी का प्रयोग करता है।

3.मेवाती घराना

संस्थापक - नजीर खां (जोधपुर के शासक जसवंत सिंह के दरबार में था )

प्रसिद्ध संगीतज्ञ - पं. जसराज

4.डागर घराना

संस्थापक - बहराम खां डागर (जयपुर शासक रामसिंह के दरबार में था।)

यह घराना डागुरवाणी का प्रयोग करता है।

जहीरूद्दीन डागर व फैयाजुद्दीन डागर जुगलबंदी के लिए जाने जाते है।

5. पटियाला घराना

संस्थापक -फतेह अली तथा अली बख्श खां

प्रसिद्ध संगीतज्ञ- पाकिस्तानी गजल गायक- गुलाम अली

6. अन्तरोली घराना

संस्थापक -साहिब खां

यह घराना खण्डार वाणी प्रयोग करता है।

प्रसिद्ध संगीतज्ञ - मान तौल खां/रूलाने वाले फकीर

7. अला दीया घराना

संस्थापक - अलादीया खां

यह घराना खण्डार वाणी व गोहरवाणी का प्रयोग करता है।

यह जयपुर घराने की उपशाखा है।

प्रसिद्ध गायिका - श्री मति किशौरी रविन्द्र अमोणकर

8. बीनकर घराना

संस्थापक - रज्जब अली बीनकर

रामसिंह-द्वितीय का दरबारी व्यक्ति है।

9. दिल्ली घराना

संस्थापक- सदारंग

यह घराना ख्याल गायन शैली का प्रयोग करता है।

ख्याल गायन शैली को प्रसिद्धी दिलाने का श्रेय सदारंग को दिया जाता है।

10. किराना घराना

यह मूलत - माहाराष्ट्र का घराना है।

प्रसिद्ध संगीतज्ञ- 1. गंगुबाई हंगल 2. रोशनआरा बेगम 3. पं. भीमसेन जोशी (भारत रत्न 2008 में)

राजस्थान भाषा साहित्य अकादमी की स्थापना 1983 ई. में की गई।

राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान की स्थापना सन् 1950 ई. में जोधपुर में की गई।

सन् 2002 में उस्ताद किशन महाराज, जाकिर हुसैन (दोनों तबला वादक) किशौरी रविन्द्र अमोणकर को पदम भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

जयपुर के शासक रामसिंह - द्वितीय के दरबार में बहराम खां, मोहम्मद अली खां, खुदा बख्श खां, रज्जब अली तथा सितार- वादक अमृत सेंन थे।

पं. उदय शंकर

 उदयपुर निवासी पं. उदयशंकर प्रख्यात कत्थक तथा बेले नृतक थे।

पं. रवि शंकर

प्रसिद्ध सितार वादक पं. रवि शंकर पं. उदयशंकर के छोटे भाई है।

ग्रेमी पुरस्कार विजेता (संगीत के क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार)

पं. विश्वमोहन भटृट

प्रसिद्ध सितार वादक पं. विश्वमोहन भट्ट जयपुर निवासी है।

इन्होने 14 तार युक्त मोहन वीणा नामक वाद्य यंत्र का निर्माण किया जो वीणा, सितार तथा सरोद का मिश्रण है। इन्होने "गोरीम्मा" नामक नया राग विकसित किया।

"ए मिटिंग बाय दा रीवर" नामक एलबम के लिए सन् 1994 इन्हें ग्रेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

शशि मोहन भट्ट

प्रसिद्ध सितार वादक शशि मोहन भट्ट पं. विश्वमोहन भट्ट के भाई है।

बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने रंगमंच को बढावा देने के लिए बीकानेर में गंगासिंह थियेटर का निर्माण करवाया।

बीकानेर के बैण्ड मास्टर विलियम जैम्स ने राजस्थानी लोक गीतों तथा उनकी धुनों का पाश्चात्य शैली अनुवाद कर "इण्डियन म्यूजिक" नामक एलबम तैयार किया ।

राजस्थानी नाटकों का जनक कन्हैया लाल पंवार माना जाता है।

नाटककारनाटक
हम्मीदुला दरींदे
मणिमधुकर रस गन्धर्व, खेलापालमपुर
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